सिबिल स्कोर कैसे निर्धारित होता है?
किसी व्यक्ति का सिबिल निर्धारित करने के लिए सिबिल कंपनी द्वारा एक निश्चित प्रोसेस को फ़ॉलो किया जाता है। सिबिल तय करने में सर्वप्रथम सिबिल कंपनी यह देखती है कि जिस ग्राहक ने लोन लिया है उस लोन को वापस करने यानी चुकाने के लिए क्या तरीका अपनाया है।
लोन चुकाने से यहां तात्पर्य लोन की ईएमआई को तय समय पर चुकाने से है। अगर ग्राहक ने लोन की EMI तय समय पर चुकाया होता है तो उसका रिकार्ड बेहतर आता है। यानी उस ग्राहक का सिबिल स्कोर अच्छा होता है।
EMI चुकाने के अलावा सिबिल स्कोर निर्धारित करने में लोन के बारे में ग्राहक द्वारा पूछताछ करना भी शामिल होता है। अगर कोई ग्राहक लोन के बारें में अधिक पूछताछ करता है तो उससे भी उसका सिबिल स्कोर कम होने की संभावना होती है।
सिबिल स्कोर की व्याख्या
क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर एक तिन अंकों वाली संख्या होती है। यह तीन अंक 300 से शुरु होता है और 900 पर समाप्त होता है। किस सिबिल स्कोर का क्या अर्थ होता है इसके बारे में समझिये:
- 800 – 900 तक सिबिल स्कोर: 800 से ऊपर क्रेडिट स्कोर बेहतरीन की श्रेणी में आता है। जिस ग्राहक का 800 से ऊपर सिबिल स्कोर होता है उन्हें लोन जल्दी मिल जाता है। 800 से ऊपर सिबिल स्कोर होने पर ब्याज दर भी कम लागू होता है।
- 700 – 800 तक सिबिल स्कोर: जिन ग्राहकों का 700 से 800 के बीच सिबिल स्कोर होता है उन्हें बेहतर की श्रेणी में रखा जाता है। बिजनेस लोन आसानी से मिल जाता है।
- 600 – 700 तक सिबिल स्कोर: जिन ग्राहकों का 600 से 700 के बीच सिबिल स्कोर होता है उन्हें औसत श्रेणी के सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों में रखा जाता है। इन ग्राहकों को लोन तो मिलता है लेकिन ब्याज की दर मार्केट रेट से थोड़ी अधिक लागू होता है।
- 500 – 600 तक सिबिल स्कोर: 500 से 600 तक सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों को औसत से कम श्रेणी वाले ग्राहकों की सूची में रखा जाता है। इन्हें बिजनेस लोन मिलने थोड़ी कठिनाई होती है।
- 500 से कम सिबिल स्कोर वाले ग्राहक: 500 से कम जिन ग्राहकों का सिबिल स्कोर होता है उन्हें डिफाल्टर की श्रेणी में रखा जाता है। इन ग्राहकों को बिजनेस लोन मिलने की संभवना बहुत कम होती है।
बिजनेस लोन के लिए इस तरह सिबिल स्कोर चेक करें
आपको जानकारी के लिए बता दें कि सिबिल स्कोर नि:शुल्क और सशुल्क दोनों तरह से चेक किया जाता है। नि:शुल्क सिबिल स्कोर रिपोर्ट में सिर्फ कुछ बेसिक जानकारी दर्ज होती है। सशुल्क सिबिल रिपोर्ट में विस्तृत रिपोर्ट दर्ज होता है।
सिबिल कंपनी विस्तृत सिबिल रिपोर्ट देने के लिए जो शुल्क लेती है वह निम्न है:
- 1 वर्ष के लिए 500 रुपया
- 2 वर्ष के लिए 800 सौ रुपया
- 1 साल में 4 रिपोर्ट लेने के लिए 1200 रुपया चुकाना होता है
सिबिल स्कोर प्राप्त करने के लिए सबसे पहले सिबिल (CIBIL) की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। सिबिल वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन से सिर्फ क्रेडिट रिपोर्ट ही नहीं मिलती बल्कि क्रेडिट स्कोर बनने की प्रक्रिया और उसपर आपको नियमित जांच करने का विकल्प भी मिलता है।
सिबिल स्कोर चेक करने के लिए सिबिल कंपनी वेबसाइट https://www.cibil.com/hi लॉग इन करना होता है। वेबसाइट ओपन होने के बाद यहां बताए गये प्रोसेस को फ़ॉलो करना होता है।
- क्रेडिट स्कोर प्राप्त करने बटन पर क्लिक करें
- अब आप उस पैकेज को सलेक्ट करें जिसे आप लेना चाहते हैं।
- पैकेज लेने के लिए आपको अपनी व्यक्ति जानकारी भरने के लिए एक फॉर्म खुल जायेगा। फॉर्म में आपको जरूरी जानकारी जैसे ईमेल, क्रियेट, पासवर्ड, फर्स्ट नाम, लास्ट नाम, आईडी, आईडी नंबर, जन्मतिथि, पिनकोड और मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है।
- अब फीस जमा करें। फीस आप ऑनलाइन तरीके से ही भुगतान कर सकते हैं।
- अब आपको अपने लोन से संबंधित और क्रेडिट कार्ड से संबंधित जानकारी भरना होगा।
- फॉर्म भरने के बाद एक बार क्रास चेक करें और फॉर्म सबमिट कर दें।
फॉर्म सबमिट करने के बाद CIBIL के अधिकारी आपसे जानकारी कंफर्म करने के लिए संपर्क करेंगे। जानकारी कंफर्म होने के बाद संबंधित व्यक्ति को सिबिल रजिस्ट्रेशन नंबर और भुगतान की लेनदेन आईडी बताए गए ईमेल आईडी पर भेज दिया जाता है।
आपको जब सिबिल रिपोर्ट मिलती है तो उस रिपोर्ट पर कुछ कोड में भी लिखा मिलेगा। उस कोड का मतलब इस तरह समझा जाता है:
क्रेडिट रिपोर्ट में लिखे गए शब्दों (कोड ) का मतलब
- एनए/एनएच (NA/NH) – जिस रिपोर्ट यह लिखा आता है, उसका कोई लेनदेन की कोई हिस्ट्री नहीं होती है।
- एसटीडी (STD) – जिस क्रेडिट रिपोर्ट में यह लिखा आता है तो इसका मतलब है कि यह व्यक्ति अपने लोन का भुगतान समय से कर रहा है यानी स्टेंडर्ड है।
- एसएमए (SMA) – जिनके सिबिल स्कोर में एसएमए लिखा होता इसका मतलब है कि ऐसे ग्राहक समय से पहले लोन का भुगतान कर देते हैं। एसएमए का फुल फॉर्म Special Mention Account होता है।
- डीबीटी (DBT) – संदेहजनक खाता! जिनके रिपोर्ट में डीबीटी लिखकर आ रहा है उनके खाता को यह माना जाता है कि ऐसे लोग पिछले 12 महीनों से अपने लोन का भुगतान नहीं किये हैं।
- एलएसएस (LSS) – घाटा वाले खाता! जिनके रिपोर्ट में एलएसएस लिखा होता है उनको यह माना जाता है कि ऐसे लोग लोन लेने के बाद उसे वापस करने का इरादा नहीं रखते हैं।
- डीपीडी (DPD) – जिस रिपोर्ट में डीपीडी लिखा होता है तो इसका मतलब है कि इस खाता से बहुत अधिक रकम बकाया है।
- लिखित तौर पर बंद/ सेटलड (Written Off/Settled Status) – इसका मतलब है कि लोन लेने वाले व्यक्ति ने 180 दिन तक कोई भी रकम जमा नहीं किया है और बकाया रकम लिखी हुई है। सेटलड स्टेटस का मतलब है कि बकाया राशि को लोन लेने वाले व्यक्ति और लोन देने वाली संस्था के बीच सुलह – समझौता के तहत समायोजन के साथ तय किया गया है।
Also Read: