ZipLoan से बिजनेस लोन के लिए पात्रता
- बिजनेस 2 साल से अधिक पुराना होना हो।
- बिजनेस का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये से अधिक होना हो।
- सालाना आईटीआर 1.5 लाख रुपये से अधिक की फाइल होनी चाहिए।
- बिजनेस की जगह और घर की जगह दोनों अलग – अलग होना जरुरी है।
- घर या बिजनेस की जगह में से कोई एक खुद कारोबारी के नाम पर होना चाहिए। यह ब्लड रिलेटिव जैसे माता – पिता, भाई – बहन, पति – पत्नी, पुत्र – पुत्री में से किसी के नाम पर होगा तो भी मान्य किया जाता है।
ZipLoan से कार्यशील पूंजी ऋण लेने के लिए जरुरी कागजात
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- पिछले साल फाइल की गई आईटीआर की कॉपी
- बिजनेस की जगह या घर की जगह मे से किसी एक का मालिकाना हक का प्रुफ। यह प्रुफ किसी ब्लड रिलेटिव के नाम से होगा, तो भी मान्य किया जाता है।
वर्किंग कैपिटल के बारे में जानिए
किसी भी बिजनेस को जब शुरु किया जाता है तो उसके पीछे एक उद्देश्य होता है और एक लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्किंग कैपिटल यानी कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है। इस धनराशी का उपयोग बिजनेस को चलाने के लिए यानी सफल संचालन के लिए किया जाता है। कारोबर में दैनिक खर्च होने वाली रकम को को पूरा करने के लिए जिस रकम का इस्तेमाल किया जाता है उसे वर्किंग कैपिटल कहते हैं।
इसे कार्यशील पूंजी यानी वर्किंग कैपिटल भी कहते हैं। कारोबार में वर्किंग कैपिटल की जरूरत इसी बात से समझा जा सकती है कि वर्किंग कैपिटल का इंतजाम न करने की वजह से कई स्टार्ट – अप बिजनेस बंद होने हो चुके हैं। वर्किंग कैपिटल धनराशी का उपयोग बिजनेस की जगह का किराया देने में, पानी बिजली की बिल भरने में, कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए और कर्मचारियों के लिए चाय - नाश्ता इत्यादि का इंतजाम करने के लिए किया जाता है।
हम कार्यशील पूंजी को कारोबारियों के लिए एक बेहतरीन कैश असिस्टेंट भी कह सकते हैं। इससे कारोबारियों को तत्काल खर्च के लिए जरूरी धन को मैनेज करने में आसानी होती है। आपको बता दें कि जिन कारोबारियों को कार्यशील मैनेज करने में पैसों की कमी से जूझना पड़ता है उनके लिए कार्यशील पूंजी लोन की भी सुविधा उपलध है।
देश की प्रमुख नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी - एनबीएफसी ZipLoan द्वारा कारोबारियों को 1 से 7.5 लाख तक का बिजनेस लोन सिर्फ 3 दिन* में दिया जाता है। ZipLoan द्वार कारोबारियों को कार्यशील पूंजी ऋण 2 साल तक के लिए दिया जाता है। अगर इस बीच कारोबारी के पास पैसा आ जाता है तो वह जब चाहें तब कीं की रकम वापस कर सकता हो वो भी 6 महीने बाद प्री पेमेंट चार्जेस फ्री
वर्किंग कैपिटल कैल्कुलेशन
आपको बता दें कि कार्यशील पूंजी निकालने का सूत्र होता है यानी कार्यशील पूंजी एक मेथड के तहत डिसाइड होती है। कार्यशील पूंजी निकालने सूत्र इस तरह है:
कारोबार की वर्तमान संपत्ति (Current Assets) – कारोबार की वर्तमान देनदारी (Current Liabilities) = कार्यशील पूंजी (Working Capital)
इसको और विस्तार से समझते हैं: माना किसी कारोबारी के पास वर्तमान में कुल 10 लाख तक की संपत्ति है और उसके ऊपर 8 लाख की देनदारी हो तो इस स्थिति में उस कारोबारी के पास कुल 2 लाख रुपया कार्यशील पूंजी यानी Working Capital के रुप में बचता है।
अब अगर उस कारोबारी को लगता है कि उसको बिजनेस का सही तरीके से संचालन करने के लिए और अधिक रुपयों की जरूरत है तो उन्हें कार्यशील पूंजी लोन लेने का विचार करना चाहिए।
वर्किंग कैपिटल लोन कब लेना चाहिए?
वैसे तो यह कोई डिसाइड नही होता कि Working Capital Loan कब लेना चाहिए। लेकिन, परिस्थियों में Working Capital Loan लेने की जरूरत पड़ती है:
- कैश रिजर्व रखने के लिए
- कैश फ्लो मेंटेंन रखने के लिए
कैश रिजर्व रखने के लिए
बिजनेस में कैश की जरूरत पड़ती रहती है। कारोबारियों का धन अधिकतर माल खरीदने में लगा होता है जिसके वजह से कैश की किल्लत हो सकती है। कैश की किल्लत से बचने के लिए Working Capital Loan लेना बेहतर विकल्प होता है। कैश होने से बिजनेस का संचालन करना आसान हो जाता है।
कैश फ्लो मेंटेन रखने के लिए
कारोबारी जब पैसा कच्चा माल खरीदने में खर्च कर देते हैं या माल की सप्लाई होने के बाद भी जब तक पेमेंट नही मिलता है तब कैश की कमी की समस्या से जूझना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए Working Capital Loan लेना बेहतर विकल्प साबित होगा।
जब कारोबारी के पास उसका मूल धन आ जाये तो तब वह जब चाहे तब लोन की रकम को वापस कर सकते हैं। इस तरह कारोबारी के साथ कैश फ्लो मेंटेन करने में समस्या नही आएगी और बिजनेस भी अपने रफ़्तार से आगे बढ़ता रहेगा।