भारत और दुनिया भर में कोविड-19 महामारी प्रकोप व्यवसायों और संस्थाओं के लिए व्यापक आर्थिक चुनौतियों का कारण बना है। इसके प्रभाव को जांचने के लिए और उधारकर्ताओं को लोन चुकौती के लिए उचित लोन समाधान प्रदान करना के लिए एक प्रयास है।केवी कामथ समिति ने कोविड-19 के प्रभाव को जांचने का काम किया और सुझाव दिया है कि संबंधित बैंक/एनबीएफसी/ fls के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के माध्यम से पात्र उधारकर्ताओं लोन रिस्ट्रक्चरिंग का ऑप्शन दिया जाए।
रिस्ट्रक्चरिंग के लिए एक पात्रता मानदंडों का पालन किया जाता है, जिसके तहत उधारकर्ताओं को लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए पात्र माना जाएगा।
पात्रता की जांच के लिए इन शर्तों को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए और इससे अलग नहीं होना चाहिए:
रिस्ट्रक्चरिंग प्रोग्राम यह सुनिश्चित करने के लिए उचित है कि कम क्षमता वाले उधारकर्ताओं का सपोर्ट किया जा सके। न कि अन्य इरादों के मुद्दों पर निर्णय किया गया है। रिस्ट्रक्चरिंग प्रोग्राम के लिए निम्नलिखित सिद्धांत मार्गदर्शक के रूप में रहेगा।
ऑप्शन | एडवांस EMI | प्रोसेसिंग फीस (%age of POS) |
समाधान 1 | 3 EMIs | 1% |
समाधान 2 | 2 EMIs | 2% |
समाधान 3 | 1 EMI | 3% |
ग्राहक से बेसिस चर्चा के बाद क्रेडिट टीम रिस्ट्रक्चरिंग को मंजूरी देगी या तो अस्वीकार करेगी। जिन मामले में रिस्ट्रक्चरिंग के लिए मंजूरी दे दी जाती, उनके लिए आगे का प्रोसेस शुरु कर दिया जाता है:
प्रत्येक खाते के रिस्ट्रक्चरिंग पर 10% का प्रावधान बनाया जाएगा, हालांकि ऐसे मामलों के लिए परिसंपत्ति वर्गीकरण “स्टेंडर्ड” होना जारी रहेगा। प्रावधान डीपीडी के बावजूद प्रत्येक खाते के अनुसार चिह्नित किया जाएगा।
यदि खाता नियमित रूप से चलता है, तो प्रावधान नियमित कार्यप्रणाली में लिए जाने वाले प्रावधान के अतिरिक्त होगा।
अंत में, संपत्ति वर्गीकरण ‘स्टैण्डर्ड’ के रूप में बनाए रखते हुए खाते को CIBIL रिपोर्टिंग में ‘रिस्ट्रक्चरिंग’ के तौर प्रस्तुत किया जाएगा। किसी भी डीपीडी रिपोर्टिंग को वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा।