प्रधानमंत्री कुसुम योजना क्या है और लाभ कैसे मिलता है?
कुसुम योजना एक ऐसी सरकारी योजना जिसमे सरकार की तरफ से किसानों को नि:शुल्क सोलर पैनल प्रदान किया जाता है। सोलर पैनल से किसान बत्ती जालने के साथ बिजली का उत्पादन करेंगे और उस बिजली से सिचाईं का पानी निकालने वाले पंप को चलाएंगे।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में एमएसएमई कारोबारियों को 10 लाख तक का बिजनेस लोन प्रदान किया जाता है। स्टैंड अप इंडिया लोन योजना के एक करोड़* तक का लोन प्रदान किया जाता है। इसी तरह दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) के ग्रामीण युवाओं को रोजगारपरक ट्रेनिंग दिया जाता है।
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प्रधानमंत्री कुसुम योजना क्या है?
मोदी सरकार द्वारा बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों के किसानों के लिए यह योजना शुरु किया है। इस योजना का मूल किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान चलाना है। इस योजना के तहत उन सभी किसानों को नि:शुल्क सोलर पंप प्रदान किया जायेगा, जो किसान डीजल इंजन के सहारे फसलों की सिचाई करते हैं।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना का ऐलान केंद्र सरकार के आम बजट 2018-19 में किया गया था। योजना की शुरुवात 2018 – 19 में हुई थी। इस योजना शुभारम्भ तत्कालीन वित्त मंत्री स्व० अरुण जेटली जी के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ था।
यह सर्वविदित है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। और किसानों की हालात भी किसी से छुपा नहीं है। भारत में किसानों को सिंचाई में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारत में अभी भी अपने फसलों की सिंचाई के लिए बारिश या डीजल इंजन पर निर्भर हैं।
बारिश पर सिचाई के लिए निर्भर होने से कभी मानसून समय से नहीं आता है तो किसानों इसका परिणाम भुखमरी से भुगतना पड़ता है। वहीं डीजल इंजन से सिचाई करना दिनोंदिन महंगा होता जा रहा है। डिजन इंजन का एक और दुष्परिणाम है कि इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है।
केंद्र सरकार की कुसुम योजना के जरिये किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं।
सोलर पैनल का दूसरा बड़ा लाभ यह है कि इस सोलर पैनल से बनने वाली बिजली से गावों में बिजली की अपृति निर्बाध यानी बिना किसी बाधा के हो सकेगी। सोलर से बनने वाली बिजली पूरी तरह से नि:शुल्क होगी। कुसुम योजना किस स्टेज में हैं?
यह बहुत अच्छी बात है कि कुसुम योजना वर्तमान में संचालित हो रही है। इससे लोगों को फायदा पहुँचाया जा रहा है। केन्द्र सरकार का लक्ष्य है कि कुसुम योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सौर ऊर्जा से चलाने में सफलता प्राप्त हो जाए।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। साल 2020 तक 3 करोड़ सिंचाई पंप सोलर पैनल उर्जा से चलाने में निर्धारित बजट के हिसाब 1.40 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह लागत केन्द्र सरकार द्वारा कुसुम योजना योजना के लिए निर्धारित बजट के हिसाब से है।
सोलर पैनल स्थापित करने वाली कुसुम योजना का बजट दो हिस्सों में विभाजित है। एक हिस्सा केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा और दूसरा हिस्सा राज्य सरकारों को वहन करना होगा। इसी के साथ सोलर पंप सिस्टम लाभार्थी को भी एक सोलर सेट की लागत का 10 प्रतिशत हिस्सा खुद से वहन करना होगा।
अगर कुसुम योजना के लिए होने वाले कुल खर्चों में से केंद्र सरकार द्वारा 48 हजार करोड़ रुपये का भार वहन किया जायेगा। इतनी ही धनराशि यानी 48 हजार करोड़ रुपया का भार सभी राज्य सरकारों द्वारा मिलकर वहन किया जाना तय है।
इसके अतिरक्त कुसुम योजना के लिए करीब 45 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम बैंक लोन के माध्यम से किया जाएगा। बैंक लोन का इंतजाम केन्द्र सरकार के जरिये से होना तय है।
कुसुम योजना का लाभ किसे मिलेगा?
सोलर सिस्टम वाली कुसुम योजना का लाभ किसानों को कई चरण में दिया जाना तय किया गया है। कुसुम योजना के पहले चरण में जो किसान डीजल पंप चला रहे होंगे उनकों सोलर सिस्टम प्रदान किया जायेगा।
पहले चरण में सिर्फ उन्हीं किसानों को सोलर पंप मिलेगा जो अभी तक डीजल इंजन का प्रयोग कर रहे होंगे। इसे हम इस तरह भी कह सकते हैं कि सबसे पहले डीजल इंजन को सोलर सिस्टम से बदला जायेगा।
केन्द्र सरकार के एक अनुमान के मुताबिक इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे डीजल की खपत और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही वायु प्रदूषण के स्तर को भी कम किया जा सकेगा।
कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार पहले चरण में देश भर में 27.5 लाख सोलर पंप सेट मुफ्त दे रही है। कुसुम योजना इस साल 2019 के जुलाई महीने से शुरू हो चुकी है।
किसानों के लिए कुसुम योजना एक जैकपॉट की तरह है। इस योजना में किसानों का डबल फायदा है। किसानों का पहला फायदा यह है कि उन्हें सिंचाई के लिए फ्री में बिजली मिलेगी और दूसरा फायदा यह कि
अगर वह अतिरिक्त बिजली बना कर बिजली की ग्रिड को भेजते हैं तो उसके बदले उन्हें पैसा भी मिलेगा।
अगर किसी किसान के पास बहुत अधिक बंजर भूमि है, जहां पर कोई फसल नहीं उगती तो उस किसान के लिए कुसुम योजना एक रोजगार का जरिया साबित हो सकती है। किसान बंजर भूमि का इस्तेमाल सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कर सकता है। इससे उन्हें बंजर जमीन से भी आमदनी होने लगेगी।
कुसुम योजना से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
कुसुम योजना के लाभार्थी को एक सोलर पंप के लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा भुगतान करना होगा।
जिन किसानों की आर्थिक स्थिति सोलर पंप की कुल लागत का 10 प्रतिशत हिस्सा चुकाने की नहीं होगी उन सभी किसानों को बैंक लोन के रूप में सोलर पंप की लागत का 30% रकम देंगे।
केंद्र सरकार द्वारा लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम दिया जायेगा।
केन्द्र सरकार की तरफ से किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 60 प्रतिशत रकम प्रदान किया जायेगा। यह रकम किसानों के बैंक खातें में सीधे ट्रांसफर की जाएगी।
सौर ऊर्जा के लिए प्लांट बंजर भूमि पर लगाये जायेंगे।
जिन इलाके में बिजली ग्रिड नहीं है वहां कुसुम योजना के तहत किसानों को 17.5 लाख सौर पंप सेट दिए जाएंगे।
जिन जगहों पर बिजली ग्रिड है, वहां किसानों को 10 लाख पंप सेट दिए जाएंगे।
मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही कुसुम योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप कुसुम योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
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