बिज़नेस लोन EMI क्या है?
जब किसी बैंक से या किसी एनबीएफसी कंपनी से पैसा लोन के तौर पर लिया जाता है और लिए गये पैसों को हर महीने छोटे अमाउंट में चुकाया जाता है तो जितना पैसा हर महीने चुकाया जाता है उसे मंथली EMI कहते हैं।
EMI का फुल फॉर्म Equated monthly installment होता है। इसे हम हिन्दी में समान मासिक किश्त के नाम से जानते हैं। मासिक किश्त में व्यक्ति के लोन के ऊपर लागू इंटरेस्ट रेट भी शामिल होता है।
ईएमआई एक सुविधा है उन लोगों के लिए जिनको अपने कार्यों के लिए बड़ी रकम की जरूरत पड़ती रहती है। बड़ी रकम को चुकाना एक ही बार में संभव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में लोन की रकम को चुकाने के लिए कम रकम के तौर के रुप में EMI बनाई जाती है जिससे कि व्यक्ति लोन की रकम आसानी से चुका सके।
ईएमआई तय कौन करता है? इस बात का उत्तर है – जो भी मंथली ईएमआई बनती है उसे लोन देने वाली संस्था और लोन लेने वाले व्यक्ति आपसी सामंजस्य से तय करते हैं। हालांकि यह लोन की कुल रकम और चुकाने के लिए निर्धारित किया गया समय पर निर्भर करता है। ईएमआई तय होने में क्रेडिट स्कोर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कारोबारियों को अपना बिजनेस चलाने के लिए अधिक पैसों की आवश्यकता होती है। बिजनेस के बारे में यह भी सच बात है कि बिजनेस में अधिकतर पैसा मार्केट में लगा होता है जिसके वजह कारोबारियों को अपना कारोबार मेंटेन तरीके से चलाने के लिए बिजनेस लोन की जरूरत पड़ती रहती है।
जब कारोबारियों को बिजनेस लोन की जरूरत पड़ती है तब बिजनेसमैंन बिजनेस लोन लेते हैं। बिजनेस लोन के रुप में ली गई रकम को मंथली ईएमआई के रुप में जमा करते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि बिजनेस लोन ईएमई क्या होती है।