कार्यशील पूंजी नीतियों के विभिन्न प्रकार
कुल 8 प्रकार की कार्यशील पूंजी होती है। आइये समझते हैं कि इन 8 कार्यशील पूंजियों का सृजन कैसे होता है और इनका कार्य क्या होता है।
स्थाई कार्यशील पूंजी: सभी तरह की कार्यशील पूंजी यानी वर्किंग कैपिटल में यह सबसे महत्वपूर्ण और मूल है। इसे फिक्स्ड कार्यशील पूंजी या हार्ड कोर कार्यशील पूंजी के रूप में भी जाना जाता है। इस सृजन बिजनेस के इनकम में से किया जाता है। स्थाई कार्यशील पूंजी का कार्य बिजनेस को सुचारू संचालन का है।
निवल कार्यशील पूंजी: बिजनसे के लेनदारी और देनदारी को देने के बाद जो रकम बचती है, उसे निवल कार्यशील पूंजी कहते हैं। बिजनेस के संचालन में बदलाव और बाजार की स्थितियों के अनुसार इसे वेरिएबल या उतार-चढ़ाव वाली कार्यशील पूंजी भी कहा जाता है।
सकल और निवल कार्यशील पूंजी: यह कार्यशील पूंजी भी बिजनेस की कुल लेनदारी और देनदारी से बचने के बाद बचने वाली रकम होती है। इस तरह की पूंजी को बिजनेस के ऑपरेटिंग साइकिल के भीतर कन्वर्ट करना आसान होता है। बिजनेस की निवल कार्यशील पूंजी सकल कार्यशील पूंजी और वर्तमान देनदारियों के बीच का अंतर होती है।
नेगेटिव कार्यशील पूंजी: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि नकारत्मक यानी नेगेटिव होना अच्छी बात नहीं होती है। ठीक यही फ़ॉर्मूला वर्किंग कैपिटल में भी लागू होता है। बिजनेस की कुल इनकम के बाद कुल देनदारी चुकाने के बाद अगर कोई रकम नहीं बचती है। बल्कि उधारी अभी भी रह जाता है तो इसे हम नेगेटिव वर्किंग कैपिटल के नाम से जानते हैं।
नियमित कार्यशील पूंजी: जिस प्रकार हमारे शरीर को नियमित तौर पर भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार बिजनेस को चलाने के लिए भी नियमित तौर धन की आवश्यकता होती है। किसी भी बिजनेस के दैनिक संचालन में लगने वाले घन को नियमित कार्यशील पूंजी कहा जाता है।
सीज़नल कार्यशील पूंजी: अपने देश में मुख्य रुप से चार मौसम होता है। सभी मौसम अपने आप में खास होता है। बिजनेस में भी मौसम का बहुत प्रभाव है। कुछ प्रोडक्ट को मौसम के अनुसार मार्केट में उतारा जाता है। इसे सीजनल प्रोडक्ट कहते हैं। उदाहरण के लिए गर्मी के मौसम में पंखा, कूलर एयरकंडीशन इत्यादि की मांग मार्केट में अचानक बढ़ जाती है। गर्मी के मौसम में इन प्रोडक्ट की मांग को पूरा करने के लिए कारोबारियों को पहले से ही धन की व्यवस्था करके रखना होता है। इसी को सीजनल कार्यशील पूंजी कहते हैं।
विशेष कार्यशील पूंजी: आज की तारीख में टेक्नोलॉजी बहुत उन्नत हो चुकी है। उन्नत टेक्नोलॉजी के चलते हर रोज में नई – नई मशीने मार्केट में आती रहती हैं। कारोबारी को चुकी मार्केट में बने रहना होता है, तो उन्हें भी अपने बिजनेस पर नई – नई मशीने रखना होता है। ऐसे ही कई जरूरत अचानक आ सकती है। इन
अचानक आने वाली जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष कार्यशील पूंजी का इंतजाम करना सभी कारोबारियों के लिए अनिवार्य होता है।
इस तरह से आपने जाना और समझा कि कार्यशील पूंजी नीतियों के विभिन्न प्रकार क्या हैं। एक जानकारी आपको देना चाहेंगे कि वर्किंग कैपिटल जिस बिजनेस में नहीं होता है, उन बिजनेस को चाहिए कि बिजनेस लोन लेकर वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करें।
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- बिजनेस के लिए सालाना आईटीआर डेढ़ लाख से अधिक की फाइल की जाती हो।
- बिजनेस या घर की जगह में से कोई एक खुद कारोबारी के नाम पर हो। (यह खुद के नाम पर, माता – पिता के नाम पर, पति – पत्नी के नाम पर, भाई – बहन के नाम पर, पुत्र – पुत्री के नाम पर हो तो भी मान्य किया जाता है।)
जिन कागजी दस्तावेजों की मांग की जाती है वह लिस्ट निम्न है:
- आधार कार्ड और पैन कार्ड।
- पिछले 9 महीने का बैंक स्टेटमेंट। (करेंट बैंक अकाउंट)
- पिछले साल फाइल की गई आईटीआर की कॉपी।
- घर या बिजनेस की जगह में से किसी एक का मालिकाना प्रूफ की कॉपी। (यह खुद के नाम पर, माता – पिता के नाम पर, पति – पत्नी के नाम पर, भाई – बहन के नाम पर, पुत्र – पुत्री के नाम पर हो तो भी मान्य किया जाता है।)
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