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दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना
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दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना उन ग्रामीण युवाओं के लिए है, जिन ग्रामीण युवाओं की उम्र 15 से 35 वर्ष के बीच है। दीन दयाल योजना के तहत इन युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दी जाती है और ट्रेनिग सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाती है।
दीन दयाल उपाय ग्रामीण कौशल योजना भारत सरकार की योजना है। इस योजना को शुरु करने के पीछे केन्द्र सरकार का मकसद है कि ग्रामीण युवाओं को कौशल (स्किल) की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाए। इससे बेरोजगारी तो कम होगी ही, इसके साथ ही साथ ग्रामीण युवाओं का शहर की तरफ पलायन भी रुकेगा।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत सफलतापूर्वक ट्रेनिंग कर चुके युवाओं को केन्द्र सरकार की तरफ से रोजगार का मौका प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही जो युवा अपने खुद का कोई स्वरोजगार करना चाहते हैं, उन युवाओं की बिजनेस लोन के रुप में आर्थिक मदद की जाती है।
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दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना क्या है?
यह एक रोजगारपरक प्रशिक्षण (स्किल ट्रेनिंग) और रोजगार से जोड़ने वाला सरकारी कार्यक्रम है। यह योजना विशेष रुप से उन युवाओं के लिए है, जो युवा ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और उनकी उम्र 15 से 35 वर्ष के भीतर है।
केन्द्र में स्थापित मोदी सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि देश में अधिक से अधिक से लोगों को रोजगार प्राप्त हो, अधिक से अधिक लोग अपनी आजीविका अपने क्षेत्र में ही कमायें। इसके लिए केन्द्र सरकार की तरफ से कई सरकारी योजना शुरु की गई है।
अपने क्षेत्र में आजीविका कमाने वाली योजनाओं में दीन दयाल उपाध्याय कौशल योजना प्रमुख योजना है। इस योजना को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।
दीन दयाल उपाध्याय कौशल योजना को DDU-GKY के नाम से भी जाना जाता है। यह योजना 2014 से शुरु की गई है। दीन दयाल उपाध्याय कौशल योजना का उद्देश्य 15 से 35 वर्ष तक के गरीब ग्रामीण युवाओं को सरकार द्वारा प्रशिक्षण (स्किल) देने के बाद निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे ऊपर के वेतन पर रोजगार उपलब्ध कराना है।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) का लाभ क्या है?
ग्रामीण एरिया में रहने वालें युवाओं को ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगारपरक ट्रेनिंग देकर ग्रामीण एरिया में ही उचित मजदूरी पर रोजगार मिल जाता है।
ग्रामीण इलाकों से युवाओं का शहर की तरफ पलायन रुक जायेगा।
गरीबों को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने में यह योजना बहुत कारगर साबित होगी।
देश को कुशल मजदूर मिलने में सहायता मिलेगी।
भारत की गरीबी रेखा को कम करने में मदद मिलेगी।
युवाओं का उपयोग देश को विकसित करने में किया जा सकेगा।
गरीब युवाओं के अगली पीढ़ी में सुधार हो सकेगा।
देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में यह योजना साहायक सिद्ध होगी।
ग्रामीण इलाकों में लघु उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
ग्रामीण भारत की तस्वीर सुधारने में दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना बहुत कारगर साबित होगी।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) में क्या – क्या शामिल है?
मूलतः तो यह योजना पूरी तरह से देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीबों को सक्षम बनाने के लिए है। लेकिन इस योजना में ऐसा बहुत कुछ शामिल किया गया है, जिससे ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलती नजर आएगी। आइये जानते हैं कि इस योजना में और क्या – क्या शामिल किया गया है।
इस योजना के बारे में ग्रामीण इलाकों में अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल किया गया है।
योजना में ऐसे ग्रामीण युवाओं की पहचान करना भी शामिल है, जो युवा ग्रामीण इलाकों में हैं और बेरोजगार हैं। उन युवाओं को चिन्हित करके उन्हें डील दयाल उपाध्याय योजना के बारे में जानकारी देने और योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना भी शामिल है।
गरीब युवाओं और उनके माता-पिता की काउंसिलिंग करना शामिल है। अक्सर ऐसा होता है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग अपने बच्चों को बहुत कम उम्र में से काम पर लगा देते हैं। तो सरकार का दीन दयाल उपाध्याय योजना के तहत यह प्रयास है कि उन बच्चों और उनके माता – पिता की काउंसिलिंग भी किया जाए और उन बच्चों को इस योजना से जोड़कर लाभ पहुंचाया जाये।
योग्यता के आधार पर कुशलता विकसित करने के लिए युवाओं का चयन करना और उन्हें यह समझाना कि उन्हें किस स्किल की ट्रेनिग करना चाहिए ताकि उन्हें सम्मानजन रोजगार उपलब्ध हो सके।
रोजगार के अवसर के हिसाब से ज्ञान, उद्योग से जुड़े कौशल और विजन उपलब्ध कराना और यह समझाना कि ट्रेनिग के बाद उन्हें बेहतर जिंदगी मिल सकती है।
ऐसी नौकरी देना जिनका सत्यापन स्वतंत्र तरीके से किया जा सके। नौकरी का कई अवसर उपलब्ध कराना ताकि युवा अपनी सुविधानुसार नौकरी का चुनाव कर सके।
योजना में यह भी शामिल किया गया है कि ट्रेनिंग के बाद युवाओं को न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा का भुगतान मिल सके। मतलब युवाओं की ट्रेनिंग के बाद इतना पैसा मिलना सुनिश्चित हो सके, जिससे युवा अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से जी सकें।
नियुक्ति के बाद व्यक्ति की सतत आय में मदद उपलब्ध कराना और यह ट्रेक करना भी शामिल है कि युवा को अपनी नौकरी में कोई परेशानी तो नहीं है, जिसके चलते वह नौकरी छोड़ने का विचार बना रहा है। अगर ऐसा होता है तो युवा की सभी समस्याओं का निदान करना भी दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में शामिल है।
जो युवा सफलतापूर्वक ट्रेनिंग प्राप्त कर लेते हैं और वह युवा अगर खुद का कोई स्वरोजगार करना चाहते हैं, उन्हें मुद्रा लोन योजना के तहत बिजनेस लोन मुहैया कराने का भी प्रस्ताव इस योजना में शामिल है।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के बारें में महत्वपूर्ण बातें
इस योजना का लाभ तीन कैटेगरी में दिया जाता है। पहली कैटेगरी है अनुसूचित जाति-जनजाति (SC-ST) इस कैटेगरी को कुल योजना का 50% हिस्सा दिया जाता है। उदाहरण: अगर किसी जगह पर 20 युवाओं को दीन दयाल योजना के लिए चुना जाता है तो उसमे से 10 युवा अनुसूचित जाति-जनजाति (SC-ST) कैटेगरी का होना अनिवार्य है।
दीन दयाल योजना में 15% स्थान अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित है। मतलब किसी जगह पर अगर कुल 20 युवकों को ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट किया गया है तो उसमे से 3 युवा अल्पसंख्यक होना अनिवार्य है।
इसी के साथ 3% विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित किया गया है। और महिलाओं के लिए एक तिहाई हिस्सा आरक्षित रखा गया है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि डीडीयू-जीकेवाई के तहत 576 घंटे (3 महीने) से लेकर 2,304 घंटे (12 महीने) का प्रशिक्षण यांनी ट्रेनिंग प्रदान की जाती है।
दीन दयाल ग्रामीण कौशल योजना के तहत किस सेक्टर में नौकरी मिलेगी
रिटेल (खुदरा) कारोबार
सेवा इंडस्ट्री (हॉस्पिटैलिटी)
स्वास्थ्य (हेल्थ सेक्टर)
निर्माण
ऑटो
चमड़ा
बिजली
पाइपलाइन
रत्न और आभूषण
आदि क्षेत्र में युवाओं को कुशलता की ट्रेनिंग दी जाती है।
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